Krishna Janmashtami 2023 : तिथि, समय, पूजा विधि और महत्व

भारतीय संस्कृति में धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता का महत्व हमेशा से होता आया है, और इसके साथ ही भारतीय धर्मों में Krishna Janmashtami त्योहार भी हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं।
इनमें से एक महत्वपूर्ण त्योहार है “Krishna Janmashtami” जो हर साल श्रावण मास के भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार को मनाने का मुख्य उद्देश्य भगवान कृष्ण की आवाज़ को सुनकर उनके दिव्य लीलाओं को याद करना और उनके आदर्शों का पालन करना होता है।
भगवान कृष्ण कौन हैं?
भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भगवान श्रीकृष्ण हैं। वे हिन्दू धर्म के एक प्रमुख देवता हैं और उनके जीवन की कई कथाएँ हमें उनके महान आदर्शों और लीलाओं का संदेश देती हैं। इस ब्लॉग में, हम जानेंगे कि भगवान कृष्ण कौन हैं और उनके जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझेंगे।
भगवान कृष्ण का जीवन
भगवान कृष्ण का जन्म वृंदावन में हुआ था और उनकी माता यशोदा के घर में उनका आगमन हुआ था। वे नंद बाबू और यशोदा माँ के पुत्र थे और उनका बचपन वृंदावन की गोपियों के साथ रास लीला और कान्हा की मधुर बांसुरी की मधुर धुन में बीता।
भगवान कृष्ण के बचपन की कई लीलाएँ बच्चों और वयस्कों के लिए आदर्श हैं। उनके गोपीयों के साथ रास लीला और माखन चोरी की कथाएँ उनके प्रेम और श्रीदामा, सुदामा जैसे दोस्तों के साथ उनके मित्रता का प्रतीक हैं।
भगवान कृष्ण के महत्वपूर्ण आदर्श
1. धर्म और कर्म का पालन: भगवान कृष्ण ने भगवद गीता के माध्यम से धर्म और कर्म का महत्व बताया। वे युद्ध के समय अर्जुन को जीवन के मूल्यवान सिख दिए और धर्म का पालन करने की महत्वपूर्ण बातें बताई।
2. भक्ति और प्रेम का प्रतीक: भगवान कृष्ण की गोपियाँ उनके प्रेम और भक्ति के प्रतीक हैं। वे अपने दिल से भगवान के प्रेम में रंगी हुई थीं और उनकी प्रेम भक्ति का महत्वपूर्ण उदाहरण है।
3. जीवन के मौलिक सिद्धांत: भगवान कृष्ण ने जीवन के मौलिक सिद्धांतों को सिखाया, जैसे कि सच्चे मित्र का महत्व, धन की अनिवार्यता, और सही दिशा में चलने की आवश्यकता।
Krishna Janmashtami का इतिहास
श्री Krishna Janmashtami का त्योहार श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। भगवान कृष्ण का जन्म वृंदावन में हुआ था और उनकी माता यशोदा के घर में उनका आगमन हुआ था। इस दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, जिसे भगवद गीता में महानतम अवतारों में से एक के रूप में जाना जाता है।
Krishna Janmashtami 2023: शुभ मुहूर्त और तिथि
- निशिता पूजा का समय: रात 11:57 बजे से 12:42 बजे तक (7 सितंबर)
- लड्डू गोपाल पूजा मुहूर्त: रात 11:57 बजे से 12:42 बजे तक
- पारण का समय: शाम 4:14 बजे (7 सितंबर)

Krishna Janmashtami की तैयारीयाँ
श्री Krishna Janmashtami के पहले ही दिन से ही घरों में तैयारीयाँ शुरू होती हैं। लोग अपने घरों को सजाने, सजाने और उचित ढंग से सजाने का प्रयास करते हैं। श्री कृष्ण की मूर्ति या चित्रकला के माध्यम से उनकी आवाज़ को सुनते हैं और उनके आदर्शों का पालन करते हैं।
रासलीला का प्रदर्शन
इस दिन लोग भगवान कृष्ण की रासलीला का प्रदर्शन करते हैं, जिसमें वे गोपियों के साथ रास रचते हैं। यह प्रदर्शन भक्तों को भगवान कृष्ण के दिव्य लीलाओं का अनुभव कराता है और उनके प्रेम और भक्ति को महसूस कराता है।
Krishna Janmashtami कैसे मनाएं?
Krishna Janmashtami भारतीय संस्कृति में एक बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे हम हर साल श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाते हैं। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है और इसे खास रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन के साथ मनाने का पर्व माना जाता है। इस ब्लॉग में, हम जानेंगे Krishna Janmashtami कैसे मनाई जा सकती है और इसे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से कैसे महत्वपूर्ण बनाया जा सकता है।
1. मंदिर दर्शन और पूजा
Krishna Janmashtami के दिन, लोग मंदिरों में जाकर भगवान कृष्ण की मूर्ति का दर्शन करते हैं और उन्हें पूजते हैं। आप भी अपने नजदीकी मंदिर में जाकर भगवान कृष्ण की पूजा कर सकते हैं या अपने घर पर उनकी मूर्ति को सजाकर पूजा कर सकते हैं।
2. रासलीला का प्रदर्शन
Krishna Janmashtami के दिन, रासलीला का प्रदर्शन आयोजित किया जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण और गोपियाँ भगवान के साथ रास रचते हैं। यह प्रदर्शन भक्तों को भगवान कृष्ण के दिव्य लीलाओं का अनुभव कराता है और उनके प्रेम और भक्ति को महसूस कराता है।
3. भगवद गीता की पाठशाला
Krishna Janmashtami के दिन, आप भगवद गीता की पाठशाला आयोजित कर सकते हैं। इसमें आप और आपके परिवार के सदस्य भगवद गीता के महत्वपूर्ण श्लोकों का पाठ कर सकते हैं और उनका विवेचन कर सकते हैं। यह आपके जीवन में धार्मिक और मानवता के मूल सिद्धांतों को समझने में मदद करेगा।
4. व्रत और उपवास
Krishna Janmashtami के दिन व्रत और उपवास करने का एक अच्छा तरीका है। आप इस दिन नीरा नमकीन और फल से उपवास कर सकते हैं और भगवान कृष्ण के नाम का जाप कर सकते हैं।
5. भगवान कृष्ण की कथाएँ
Krishna Janmashtami के दिन, आप भगवान कृष्ण की कथाओं को सुनकर और पढ़कर मना सकते हैं। इससे आपके मन में भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति और प्रेम बढ़ सकते हैं।
महारास
श्री Krishna Janmashtami के दिन अक्षय क्षेत्र, वृंदावन, और मथुरा जैसे स्थलों पर विशेष पूजा और ध्यान कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दिन की रात को “महारास” कहा जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण गोपियों के साथ रास रचते हैं और उनके साथ नृत्य करते हैं। यह महारास
अद्वितीय और अद्भुत अनुभव का स्रोत होता है जो भक्तों को भगवान के साथ की भावना में ले जाता है।
Krishna Janmashtami का आरती और प्रसाद
Krishna Janmashtami के दिन भगवान कृष्ण की आरती किया जाता है और विभिन्न प्रकार के प्रसाद बनाए जाते हैं, जैसे कि मक्खन, पनीर, मिठाई, और फल। इन प्रसादों को भक्तों को बाँटा जाता है और सभी मिलकर खाते हैं।
आत्मा का जागरूकता
श्री Krishna Janmashtami का यह पर्व हमें आत्मा के अद्वितीय और अद्वितीय पहलु का महत्व समझाता है। यह हमें भगवान के प्रेम और भक्ति की महत्वपूर्ण भावना को समझने का अवसर देता है और हमें उनके आदर्शों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
Krishna Janmashtami के मन्त्र
1. “ॐ कृष्णाय नमः”
यह मन्त्र भगवान कृष्ण के आशीर्वाद का प्राप्ति के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है। “ॐ कृष्णाय नमः” का जाप करने से हम भगवान कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति को प्रकट करते हैं और उनके प्रति अपनी समर्पण भावना को प्रकट करते हैं।
2. “हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे”
यह महामन्त्र इस त्योहार के महत्वपूर्ण हिस्सा है और कृष्ण भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस मन्त्र का जाप करने से आप भगवान कृष्ण के पास अपनी प्रार्थनाएं पहुँचा सकते हैं और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं।
3. “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
यह मन्त्र भगवान वासुदेव (भगवान कृष्ण) की पूजा और आशीर्वाद के लिए बहुत ही शक्तिशाली है। इस मन्त्र का जाप करने से हम अपने मानसिक और आध्यात्मिक स्थिति को सुधार सकते हैं और भगवान कृष्ण के साथ अपने आपको जोड़ सकते हैं।
4. “कृष्णाय वासुदेवाय देवकीनंदनाय च”
यह मन्त्र भगवान कृष्ण के दिव्य नामों में से एक है और उनकी पूजा के लिए उपयोगी होता है। इसका जाप करके हम भगवान कृष्ण के सच्चे और शुद्ध भावना के साथ उनके पास आ सकते हैं।
5. “ये कृष्णा है, ये कृष्णा है, कृष्णा कृष्णा है, राधे कृष्णा है”
यह मन्त्र भगवान कृष्ण और उनकी परम प्रेमिका राधा के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक है।
Krishna Janmashtami और इस तरह के सभी अपडेट के लिए हमारे ब्लॉग पर लगातार विजिट करते रहें।